20 साल बाद इस बार शनैश्चरी अमावस्या, चार राजयोग में मनेगी
जनवरी 21 यानी शनिवार को होने जा रहा है। माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मनुष्य को मौन रहना चाहिए। इसके साथ ही गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंड में स्नान करना चाहिए।
माघ महीने की मौनी अमावस्या को धर्म-कर्म के लिए खास माना गया है। अमावस्या तिथि के स्वामी पितर माने गए हैं। इसलिए पितरों की शांति के लिए इस दिन तर्पण और श्राद्ध किया जाता है। वहीं पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन उपवास भी रखा जाता है। आपको बता दें कि इस दिन ग्रहों की शुभ स्थिति से हर्ष, वरिष्ठ, सत्कीर्ति और भारती नाम के राजयोग भी बनेंगे। ज्योतिषियों का कहना है कि माघ महीने की अमावस्या पर शनिवार और ये चार राजयोग बनना अपने आप में दुर्लभ संयोग है।
माघी-मौनी अमावस्या शनिवार को होने से इस दिन शनैश्चरी अमावस्या का विशेष
ये शुभ संयोग 20 साल बाद बन रहा है। इससे पहले 1 फरवरी 2003 को ऐसा हुआ था। जब माघ महीने की अमावस्या शनिवार को पड़ी थी और इसी दिन मौनी अमावस्या पर्व मनाया गया था। अब ऐसा योग चार साल बाद यानी 6 फरवरी 2027 को बनेगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार माघ महीने को बहुत ही पुण्य फलदायी बताया गया है। इसलिए मौनी अमावस्या पर किए गए व्रत और दान से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। वहीं, धर्म ग्रंथों के जानकारों का कहना है कि मौनी अमावस्या पर व्रत और श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है। साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
ग्रहों की स्थिति का असर एक महीना तक रहेगा
जनवरी 21 के इस अमावस्या पर ग्रहों की स्थिति का असर अगले एक महीने तक रहेगा। इससे देश में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं के साथ मौसम का अनुमान लगाया जा सकता है। साथ ही इस अमावस्या पर्व पर पितरों की शांति के लिए स्नान-दान और पूजा-पाठ के साथ ही उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु और ऋषि समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं।
मौनी अमावस्या पर सुबह जल्दी तांबे के बर्तन में पानी, लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। उसके बाद पितरों का तर्पण होता है। इसके बाद पीपल के पेड़ और तुलसी की पूजा करने के बाद परिक्रमा करनी चाहिए। वैस तो इस दिन तीर्थ या पवित्र नदी में नहाने की परंपरा है। लेकिन ऐसा न हो सके तो पानी में गंगाजल मिलाकर नहाना चाहिए। इस दिन पितरों की शांति के लिए उपवास रखें और जरूरमंद लोगों को तिल, ऊनी कपड़े और जूते-चप्पल का दान करना चाहिए।
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