“उड़न परी” और “भारतीय ट्रैक एंड फीँल्ड की रानी”
पी.टी ऊषा को भारतीय ओलंपिक संघ का निर्वरोध अध्यक्ष चुना गया है। वर्तमान में वे राज्य सभा सांसद भी हैं। उड़न परी को आईओए का अध्यक्ष चुना जाना भारतीय खेलों के उज्ज्वल भविष्य की शुरुआत माना जा रहा है। कुछ गिनती के खेलों को छोड़ दें तो हम खेल स्पर्द्धाओं के मामले में काफी पीछे हैं।
अमेरिका, चीन और रूस और जर्मनी ओर इंग्लैंड की तो बात ही क्या जापाना, दक्षिण कोरिया और अन्य एशियाई देशों से भी हम काफी पीछे हैं। ऐसे में पी.टी ऊषा का भारतीय ओलंपिक संघ का अध्यक्ष चुना जाना भारतीय खेलों के सुनहरे भविष्य की उम्मीदें जगाने वाला है।
1997 में अपने खेल करियर को जब उन्होंने अलविदा कहा
तब तक वह भारत के लिए 103 अंतरराष्ट्रीय मेडल जीत चुकी थीं। इनमें एशियन खेलों में 23 पदक है, जिनमें 9 स्वर्ण पदक भी शामिल हैं। अब पी.टी ऊषा ने ओलंपिक में मेडल जीतने की चाहत रखने वाले युवा खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने के लिए एक एकेडमी शुरू की है।
ऊषा स्कूल ऑफ़ एथलेटिक्स, केरल के कोझीकोड ज़िले में किनालुर की पहाड़ियों के बीच स्थित है। आज ये एकेडमी युवा एथलीटों की ट्रेनिंग के एक बेहतरीन संस्थान के तौर पर अपनी पहचान स्थापित कर चुका है। इस स्कूल की शुरुआत करना, ऊषा का एक ख़्वाब था। इसके ज़रिए वो खेलों के लिए कुछ करना चाहती थीं।
नाकामी के बाद मैं ट्रेनिंग करने के लिए हर साल तीन महीने के लिए लंदन जाया करती थी।
खुद पीटी उषा कहती हैं कि लॉस एंजेलेस ओलंपिक खेलों में नाकामी के बाद मैं ट्रेनिंग करने के लिए हर साल तीन महीने के लिए लंदन जाया करती थी। मैंने वहां जो सुविधाएं देखीं तभी से मेरे दिमाग़ में ये बात थी अगर मैंने अपना स्कूल खोला तो उसमें ऐसी ही सुविधाएं होंगी।
भारतीय खिलाड़ियों के पास देश में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं नहीं मिल पातीं। इस बात को पी.टी. ऊषा भी अच्छी तरह जानती हैं। इसलिए उम्मीद है कि उनके नेतृत्व में भारतीय खिलाड़ियों को वे सभी अंतराष्ट्रीय सुविधाएं मुहैया होंगी, जिनकी अभाव में उनका खेल निखर नहीं पाता।
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