भारत के राष्ट्रपति भारतीय गणराज्य और संप्रभु राष्ट्र का राष्ट्राध्यक्ष होता है
भारत के लोकतंत्र भारत की संवैधानिक व्यवस्था में सबसे प्रतिष्ठित पद राष्ट्रपति का है। राष्ट्रपति भारतीय गणराज्य और संप्रभु राष्ट्र का राष्ट्राध्यक्ष होता है। राष्ट्रपति, भारत गणराज्य का कार्यपालक अध्यक्ष होता है। संघ के सभी कार्यपालक कार्य उनके नाम से किए जाते हैं। अनुच्छेद 53 के अनुसार संघ की कार्यपालक शक्तियां उनमें निहित हैं। वह भारतीय सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च सेनानायक भी है।
सभी प्रकार के आपातकाल लगाने व हटाने वाला, युद्ध/शान्ति की घोषणा करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास होता है। राष्ट्रपति देश के प्रथम नागरिक होता है। जो भारत का नागरिक है वही भारतीय राष्ट्रपति बन सकता है। सिद्धान्ततः राष्ट्रपति के पास पर्याप्त शक्ति होती है। पर कुछ अपवादों के अलावा राष्ट्रपति के पद में निहित अधिकांश अधिकार वास्तव में प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता वाले मंत्रिपरिषद के द्वारा उपयोग किए जाते हैं।
भारत के पहले राष्ट्रपति
इंडिया के लोकतंत्र राजेंद्र प्रसाद 26 जनवरी 1950 को भारत के पहले राष्ट्रपति बने थे। नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन भारत के राष्ट्रपति का निवास है। इसे रायसीना हिल के नाम से भी जाना जाता है। राष्ट्रपति अधिकतम कितनी भी बार पद पर रह सकते हैं इसकी कोई सीमा तय नहीं है। अब तक केवल पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने ही इस पद पर दो बार अपना कार्यकाल पूरा किया है। भारत की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल थीं। हमारी वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। वह 15वीं राष्ट्रपति हैं।
भारत के राष्ट्रपति की शक्तियाँ
भारत के संविधान के अनुसार राष्ट्रपति राष्ट्र का मुखिया है। अनुच्छेद 53: संघ की कार्यपालिका की शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी। वह इसका उपयोग संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करेगा।
1- संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होती है।
2- संविधान के अनुरूप ही उन शक्तियों का प्रयोग किया जा सकता है।
3- सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर की हैसियत से शक्ति का उपयोग विधि के अनुरूप होना चाहिए।
4- अनुच्छेद 72 द्वारा प्राप्त क्षमादान की शक्ति के तहत राष्ट्रपति, किसी अपराध के लिये दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति को क्षमा, उसकी सजा का निलंबन, कम या बरकरार रख सकता है। मृत्युदंड पाए अपराधी की सज़ा पर भी फैसला लेने का उसे अधिकार है।
5- अनुच्छेद 80 के तहत प्राप्त शक्तियों के आधार पर राष्ट्रपति, साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले 12 लोगों को राज्य सभा के लिए मनोनीत कर सकता है।
6- अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रपति, युद्ध या बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में आपातकाल की घोषणा कर सकता है।
भारत के राष्ट्रपति को राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने का अधिकार
1- अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति किसी राज्य के संवैधानिक तंत्र के विफल होने की दशा में राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर वहाँ राष्ट्रपति शासन लगा सकता है।
2- अनुच्छेद 360 के तहत राष्ट्रपति को भारत या उसके राज्य क्षेत्र के किसी भाग में वित्तीय संकट की दशा में वित्तीय आपात की घोषणा का अधिकार है।
3- राष्ट्रपति कई महत्त्वपूर्ण शक्तियों का भी निर्वहन करता है, जो अनुच्छेद 74 के अधीन करने के लिए वह बाध्य नहीं है। वह संसद के दोनों सदनों द्वारा पास किए गए बिल को ‘रोक’ सकता है। वह किसी बिल (धन विधेयक को छोड़कर) को पुनर्विचार के लिए सदन के पास वापस भेज सकता है।
4- अनुच्छेद 75 के मुताबिक, ‘प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। चुनाव में किसी भी दल या गठबंधन को जब स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो राष्ट्रपति अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए ही सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है।
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