यहां के विश्व प्रसिद्ध महल, पैलेस, किले सैलानियों को यहां तक
उदयपुर में ऐसा महल है जिससे मानसून के आगमन का पता लगाया जाता था | जब भी महलों और किलों की बात होती है तो सबसे पहले राजस्थान का नाम आता है। यहां के विश्व प्रसिद्ध महल, पैलेस, किले सैलानियों को यहां तक खींच लाता है। यही कारण है कि राजस्थान में पूरे साल पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। यहां हर साल लाखों सैलानी यहां पर्यटन के लिए आते हैं।
वीरों की भूमि में पहुंचकर और राजा-महाराजाओं की वीरता का इतिहास देखकर सभी भारतीय को काफी गर्व महसूस होता है। राजस्थान की धरती केवल भारतीयों नहीं बल्कि विदेशियों के लिए भी खास आकर्षण का केंद्र रहता है। इसलिए राजस्थान में विदेशी पर्यटकों की भरमार रहती है। आज आपको उदयपुर के एक ऐसे महल के बारे में बताने जा रहे हैं जो न केवल काफी भव्य और आकर्षक है, बल्कि किसी खास मकसद से बनाया गया था।
यह सज्जनगढ़ पैलेस के नाम से भी जाना जाता है।
उदयपुर में ऐसा महल जिसका नाम है मानसून पैलेस। यह अरावली पवर्त श्रृंखला के बांसदरा चोटी पर स्थित है। यह पैलेस उदयपुर की सबसे ऊंची इमारतों में से एक है। यह समुद्र तल से लगभग 994 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी खूबसूरती को देखकर इसे उदयपुर का मुकुटमणि भी कहते है। सज्जनगढ़ मानसून पैलेस की ख्याति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यहां पर फिल्म की शूटिंग भी हो चुकी है।
सफेद संगमरमर से निर्मित, राजपूत स्थापत्य शैली को ध्यान में रखते हुए महल बनाया गया था। महल को 9 मंजिला खगोलीय वेधशाला बनाने की योजना बनाई गई थी जो मानसून के बादलों को ट्रैक करके मॉनसून के आगमन और बारिश को लेकर सटीकता बता सके। अपनी अनूठी वर्षा जल संचयन तकनीकों के साथ महल की सुंदरता देखते ही बनती है। इस पैलेस में मुगल वास्तुकला से लेकर मेवाड़ी चित्र शैली को आसानी से देखा जा सकता है। इस महल के अंदर कई पार्क भी मौजूद है, जो इसे और भी खास बनाते हैं। इस महल के छत पर तोप भी मौजूद हैं। यानी यहां आपके देखने लायक बहुत कुछ है।
मानसून पैलेस को सज्जनगढ़ पैलेस के नाम से भी जाना जाता है
यह मुख्य शहर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद इस पैलेस का निर्माण सज्जन सिंह ने शुरू करवाया था। लेकिन, कुछ समय बाद सज्जन सिंह का निधन हो गया है और पैलेस का काम रुक गया। फिर इसे 1884 के आसपास महाराणा फतेह सिंह ने शुरू किया। लगभग दस साल बाद ये पैलेस बनकर तैयार हुआ।
कहा जाता है कि पैलेस का निर्माण ऐसी जगह किया गया जहां से महाराणा फतेह सिंह का पैतृक घर यानी चित्तौड़ का किला दिखाई दे। वहीं, पैलेस को ऐसी जगह और उंची जगह निर्माण किया गया कि बादलों के आगमन का पता चल जाए। इससे किसानों को सही जानकारी दी जा सके और अच्छी खेती की जा सके। हालांकि इस पैलेसे से सूर्योदय और सूर्यास्त को देखने का भी अपना ही आनंद है।
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