बांग्लादेश के खिलाफ टीम इंडिया के इस दौरे को अगले साल होने वाले वर्ल्ड कप की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है।
टीम इंडिया पहले वनडे में जिस तरह टीम ने हाथ में आया हुआ मैच गंवाया है, उससे टीम की कमियां एक बार फिर उजागर हो गई हैं। चाहे वह स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ बल्लेबाजी की समस्या हो या फिर फील्डिंग की या फिर डेथ ओवर में गेंदबाजी की समस्या।
हमें पता है कि पहली दो कमियों को सुधारा जा सकता है, लेकिन जिस तरह से हर बार हमारा तेज गेंदबाजी विभाग जवाब दे जाता है उस पर टीम मैनेजमेंट को काफी गंभीरता से विचार करने की जरूरत हे। टी-20 वर्ल्ड कप में भी इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में हमारी इसी कमी ने पूरे देशवासियों की खुशियां छीन लीं।
सवाल यह उठता है कि क्या हमारे पास टैंलेंटेड तेज गेंदबाजों की कमी है
या फिर और कोई कारण। सवाल यह भी है कि जसप्रीत बुमराह के अलावा हमारे पास डेथ ओवर में बॉलिंग में क्या विकल्प हैं। देखा जाए तो हमारे पास भुवनेश्वर कुमार, मोहम्मद शमी, हर्षल पटेल, प्रसिद्ध कृष्णा, मोहम्मद शिराज, अर्शदीप सिंह, उमरान मलिक, शाहबाज अहमद, शार्दूल ठाकुर और दीपक चाहर जैसे गेंदबाजों की पूरी फौज है।
इनमें टैलेंट की कोई कमी नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि इन्हें तराशने वाले लोग हमारे पास नहीं हैं। जैसा कि बार-बार क्रिकेट एक्सपर्ट कह रहे हैं कि टीम इंडिया में जरूरत से ज्यादा प्रयोग के चलते इस तरह की मुश्किलें आ रही हैं। लेकिन वन डे वर्ल्ड कप से पहले हमें अभी कुल 17 मैच और खेलने हैं। ऐसे में टीम को प्रयोग क्यों नहीं करना चाहिए।
बंग्लादेश जैसी टीम के खिलाफ भी हम प्रयोग नहीं करेंगे तो कब करेंगे।
वास्तव में हमारे टीम मैनेजमेंट को इस विभाग को और तराशने की जरूरत है। वैसे भी किसी बड़े टूर्नामेंट से पहले अगर कमियों का पता चल जाए तो इसे अच्छा ही माना जाता है। क्योंकि फिर इन कमियों पर फोकस किया जाता है। उम्मीद है कि टीम इंडिया के कर्ता-धर्ता इस ओर ध्यान देंगे और हमारे तेज गेंदबाज अपनी प्रतिभा का परचम लहराएंगे।
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