संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होगा। इस सत्र से सांसदों को बैठने के लिए नई जगह मिल सकती है।
इस सत्र से सांसदों को बैठने के लिए नई जगह मिल सकती है, क्योंकि नया संसद भवन लगभग बनकर तैयार है। नए संसद भवन का उद्घाटन बजट सत्र से होने की संभावना है। इस इमारत को इसी सत्र से शुरू करने की तैयारी चल रही है।
संसद की नई इमारत में प्रवेश के लिए सांसदों के नए पहचान पत्र बनाए जा रहे हैं। नए ऑडियो विजुअल डिवाइस की ट्रेनिंग भी दी जा रही है। हमारी पुरानी संसद की इमारत की आयु 95 साल हो गई है। इसे अब रिटायर किया जाएगा।
नए संसद भवन की बात करें तो भारत सरकार ने इसके लिए 2019 में सेंट्रल विस्टा डेवलपमेंट प्रोजेक्ट शुरू किया था। नए संसद भवन का निर्माण भी इसी प्रोजेक्ट का ही हिस्सा है। नया संसद भवन बनने के बाद संसद की पुरानी इमारत को म्यूजियम ऑफ डेमोक्रेसी में बदल दिया जाएगा।
नया संसद भवन
नए संसद भवन की बात करें तो इसका डिजाइन त्रिकोण आकार का है। 10 दिसंबर 2020 को पुराने संसद भवन के ठीक सामने नए संसद भवन का भूमिपूजन किया गया था। इस भवन के आर्किटेक्ट विमल पटेल ने इसे त्रिकोण आकार दिया है। नए संसद भवन के बीचोबीच संविधान हॉल है, जिसके ऊपर अशोक स्तंभ लगा हुआ है। कांस्टीट्यूशन हाल के एक तरफ लोकसभा और उसका सेरेमोनियल प्रवेश द्वार है।
कांस्टीट्यूशन हॉल के दूसरी तरफ राज्यसभा और उसका सेरेमोनियल गेट है। कांस्टीट्यूशनल हॉल के तीसरी तरफ सेंटर लाउंज है, जहां खुली जगह है। नए संसद भवन में पब्लिक एंट्रेंस से प्रवेश करते ही एक गैलरी मिलती है। यहां भारत के आर्ट और क्राफ्ट की सजावट की गई है। इस गैलरी से हम कांस्टीट्यूशनल हॉल में पहुंचते हैं। यह बिल्डिंग का मध्य भाग है। यहां भारत का संविधान और उसकी डिजिटल प्रति रखी गई है। इसे पढ़ सकते हैं। हॉल से एक रास्ता लोकसभा की तरफ जाता है और दूसरा रास्ता राज्यसभा की तरफ से आता है। तीसरा रास्ता सेंट्रल लाउंज की तरफ जाता है।
लोकसभा की डिजाइन
लोकसभा की थीम राष्ट्रीय पक्षी मोर की तरह रखी गई है। इस हॉल में हाई क्वालिटी ऑडियो वीडियो की सुविधा है। हर डेस्क पर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगी है। लोकसभा कक्ष में 888 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है। नई इमारत में सेंट्रल हॉल नहीं है इसलिए संयुक्त सत्र लोकसभा में ही आयोजित किया जाएगा।
राज्यसभा का डिजाइन
राज्यसभा की थीम राष्ट्रीय पुष्प कमल की तरह डिजाइन किया गया है। यह हाल भी हाई क्वालिटी ऑडियो वीडियो सिस्टम से लैस है। हर डेस्क पर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगी है। राज्यसभा कक्ष में 384 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है। सदन की कार्यवाही देखने के लिए बड़ी-बड़ी दर्शक दीर्घाएं भी बनाई गई है।
सेंट्रल लाउंज
सेंट्रल लाउंज में सांसदों के बैठने, बात करने और खाने पीने की व्यवस्था की गई है। यहां एक खुली जगह भी है, जहां राष्ट्रीय वृक्ष बरगद लगाया गया है। इमारत के बाकी हिस्से 4 मंजिला हैं। जहां मंत्रियों के कार्यालय और कमेटी रूम बनाए गए हैं। फर्श पर उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के हाथ से बने हुए कालीन बिछाए जाएंगे।
नए संसद भवन की खासियत
संसद की नई बिल्डिंग फाइव स्टार प्लैटिनम रेटेड है। इस इमारत को सिस्मिक जोन 5 के पैरामीटर पर डिजाइन किया गया है। इस इमारत को अगले 150 वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इसे टाटा लिमिटेड प्रोजेक्ट्स ने बनाया है।
नए संसद भवन की खासियत
संसद का नया भवन की नई बिल्डिंग फाइव स्टार प्लैटिनम रेटेड है। इस इमारत को सिस्मिक जोन 5 के पैरामीटर पर डिजाइन किया गया है। इस इमारत को अगले 150 वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इसे टाटा लिमिटेड प्रोजेक्ट्स ने बनाया है।
नए संसद भवन का निर्माण
लागत- 970 करोड रुपए
स्टील- 26,045 मीट्रिक टन
सीमेंट- 63,807 मीट्रिक टन
फ्लाई ऐश- 9,689 क्यूबिक मीटर
भारतीय संसद की पुरानी इमारत की बात करें तो यह लगभग 60 महीने यानी कि 5 साल में बनकर तैयार हुई थी। भारत के पुराने संसद भवन को एडमिन लुटियन और हर्बर्ट बेकर ने 1912 में डिजाइन किया था,लेकिन इसका निर्माण 1921 में शुरू हुआ था। इमारत 8 जनवरी 1927 को भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन ने इसका उद्घाटन किया था। पुराने संसद भवन का आकार गोलाकार है।
इसके बाहर सेंड स्टोन के बने 144 का स्तंभ है। इस के बीचोंबीच एक गोल गुंबद वाला सेंट्रल हॉल है, जहां संयुक्त सत्र में दोनों सदनों के सांसद एक साथ बैठते हैं। सेंट्रल हॉल के एक तरफ एक हॉल है, जिसे लोकसभा कहते हैं। इसमें अधिकतम 552 लोग बैठ सकते हैं। दूसरी तरफ के हॉल को राज्यसभा कहते हैं। इसमें अधिकतम 245 लोग बैठ सकते हैं। तीसरी तरफ के हॉल में लाइब्रेरी है। इसमें लगभग 1700000 किताबें, पत्र पत्रिकाएं हैं। यह संसद भवन की लाइब्रेरी देश की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी। पहली बड़ी लाइब्रेरी कोलकाता की नेशनल लाइब्रेरी है।
नए संसद भवन की जरूरत क्यों पड़ी
हमारी पुरानी संसद भवन की उम्र 95 साल हो चुकी है। इस भवन की स्टेबिलिटी को लेकर दुविधा है। पुराने संसद भवन में ज्यादा संसद होने की वजह से जगह संकरी पड़ रही थी।समय के साथ इमारत में पानी की सप्लाई सीवर लाइन, एयर कंडीशनिंग, सीसीटीवी और ऑडियो विजुअल सिस्टम जोड़े गए, जो पहले से प्लान नहीं किए गए थे। इससे इमारत क्षतिग्रस्त हुई पुरानी संसद भवन में कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर पुराना पड़ गया है। जब पुरानी इमारत बनाई गई थी तो दिल्ली सीस्मिक जोन 2 में था लेकिन अब यह जोन 4 में है। पुराने संसद भवन में कर्मचारियों के लिए काम करने की जगह कम हो गई थी।
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