भारत के चुनावों के बेहद रोचक तथ्य
विधानसभा चुनाव भारत में होने वाले हैं कई राज्यों में। मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, छतीसगढ़, मेघालय व मिजोरम में चुनाव हो सकते हैं। भारत में होने वाले हर चुनाव कोई न कोई रोचक तथ्य उभर कर सामने आते हैं। हम आपको आज कुछ ऐसे ही रोचक तथ्यों के बारे में बताएँगे।
1988 में मेघालय विधानसभा में दो उम्मीदवार रोस्टर संगमा और चेम्बर लाईन मार्क को बराबर वोट मिले थे, लेकिन संगमा विजयी घोषित किए गए। दरअसल विजेता का फैसला करने के लिए चुनाव अधिकारी ने टास कराया। इसमें संगमा को सफलता मिली।
भारत और अमेरिका में लोकप्रिय चुनाव चिन्ह हाथी
भारत की बहुजन समाज पार्टी और अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी का चुनाव चिन्ह हाथी है। जी हाँ, दोनों पार्टियां हाथी चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ती हैं। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती इसी चुनाव पर जीत कर चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बन चुकी हैं। दूसरी तरफ रिपब्लिकन पार्टी से आब्रहम लिंकन, जार्ज बुश, डोनल्ड ट्रम्प डीओएनएएलडी टीआरयूएमपी के राष्ट्रपति की हाथी एक ही है।
चुनाव में ईवीएम का पहली बार प्रयोग
भारत में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) का प्रयोग पहली बार केरल राज्य में हुआ था। एक ईवीएम में अधिक से अधिक 64 उम्मीदवारों के चुनाव चिन्ह शामिल किए थे। 1996 के विधानसभा चुनावों में तमिलनाडु के एक चुनाव क्षेत्र 1033 उम्मीदवार मैदान में थे जो एक रिकॉर्ड है। मोडा करोची नाम के इस चुनाव क्षेत्र में बैलेट पेपर एक पुस्तिका की शक्ल में जारी किया गया था।
भारत के चुनाव में तीन राज्यों में तीन लोकसभा सीटें
पीवी नरसिम्हा राव देश के ऐसे एकमात्र प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने एक बार महाराष्ट्र राज्य से भी चुनाव जीता था। उनके चुनाव क्षेत्र का नाम था रामटेक। हालांकि जब वे प्रधानमंत्री थे तो वे आँध्र प्रदेश का ही प्रतिनिधित्व कर रहे थे। मिज़ोरम, सिक्किम और मेघालय से सिर्फ एक-एक ही सांसद चुनकर लोकसभा में आते हैं। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और अभिनेता सैफ़ अली ख़ान के पिता मंसूर अली ख़ान पटौदी ने 1971 में विशाल हरियाणा पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था।
वर्ष 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन क्षेत्रों से चुनाव लड़ा था।
वे लखनऊ में हरे, मथुरा में ज़मानत जब्त हुई, लेकिन बलरामपुर से जीत गए थे। 1977 में हिंदी फिल्मों के जाने-माने अदाकार देवानंद ने इंदिरा गांधी के विरोध में एक राष्ट्रीय दल का गठन किया था। पार्टी के गठन के समय मुंबई के शिवाजी पार्क में एक ज़बर्दस्त रैली भी आयोजित की थी। इसमें जाने-माने क़ानूनविद् नानी पालकीवाला और विजय लक्ष्मी पंडित भी उपस्थित हुए थे। हालांकि देवानंद की वह पार्टी एक माह के अंदर ही गुमनाम हो गई।
आम चुनावों में कोई भी उम्मीदवार मैदान में नहीं उतरा। धरती पकड़ के नाम से मशहूर काका जोगेन्दर सिंह 25 बार चुनाव हारे थे। उन्होने वीपी सिंह और राजीव गांधी जैसे बड़े-बड़े नेताओं के ख़िलाफ़ भी चुनाव लड़ा था। उनके लिए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए जाते थे, ताकि कहीं उनकी मौत की वजह से चुनाव रद्द न करना पड़े। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे नेता थे जिन्होंने उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश और दिल्ली राज्यों से लोकसभा के चुनाव में सफलता हासिल की थी।
भारत के मध्यप्रदेश में पहली बार कोई किन्नर विधायक बना
-1999 में मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में पहली बार एक किन्नर शबनम ने जीत हासिल की थी।
-लक्षद्वीप देश का सबसे छोटा चुनावी क्षेत्र है जहां सिर्फ 36 हजार मतदाता हैं।
-चुनाव प्रचार के लिए पहली बार जो फ़िल्म बनाई गई थी उसका नाम था ‘पंडित नेहरूस मैसेज’ यानी पंडित जवाहरलाल नेहरू का पैगाम। इस फिल्म के निर्देशक मीनू मसानी थे।
-इंदिरा गांधी के पति फ़िरोज गांधी नेहरू गांधी परिवार के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1952 में रायबरेली से चुनाव लड़कर कामयाबी हासिल की थी।
-देश के पहले चुनावों के लिए गोदरेज कम्पनी ने 17 लाख बैलेट बॉक्स बनाए थे और एक बॉक्स के बदले में सरकार ने पांच रुपए दिए थे।
-इंदिरा गांधी ने 1977 में अपने ख़िलाफ़ जनता पार्टी के गठबंधन को बेमेल खिचड़ी कहा था और बाद में जब जनता पार्टी चुनाव में जीत गई तो उसने अपनी विजय के जश्न में कई स्थानों पर खिचड़ी बंटवाई थी।
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