त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव शुरू, इसी साल राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों के अलावा मेघालय, नगालैंड और मिजोरम में भी चुनाव होंगे
भारत में वर्ष 2023 में राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों के अलावा पूर्वोत्तर के त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम मेंविधानसभा चुनाव होंगे। इनमें से सबसे पहले त्रिपुरा में विधान सभा चुनाव हो रहे हैं। राज्य की 60 विधानसभा सीटों पर गुरुवार, 16 फरवरी को मतदान हो रहा है। राज्य में कुल 3,337 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। सिंगल फेज में हो रहे चुनाव में राज्य की 28.13 लाख जनता 259 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेगी। चुनाव परिणाम 2 मार्च को घोषित किए जाएंगे।
त्रिपुरा में कुल 28 लाख 14 हजार 584 मतदाता हैं
त्रिपुरा में विधान सभा की 60 सीटों के लिए 3337 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। इनमें 97 पोलिंग बूथ महिला और 44 दिव्यांग संचालित हैं। 88 मॉडल पोलिंग बूथ हैं। सभी 3337 पोलिंग बूथ वेब कास्टिंग वाले पोलिंग बूथ हैं। त्रिपुरा में कुल 28 लाख 14 हजार 584 मतदाता हैं। इनमें 1415584 पुरुष और 1399289 महिला व 62 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं।
भारत में विधान सभा की कुल 4126 सीटें हैं
भारत में विधान सभा की कुल 4126 सीटें हैं। कई ऐसे राज्य हैं, जहां 30 से 40 सीटें तो कई में 200 से 403 तक विधान सभा सीटें हैं। सबसे ज्यादा 403 विधान सभा सीटें उत्तर प्रदेश में हैं तो सबसे कम 30 सीटें पुदुच्चेरी में हैं। सबसे कम सीटों वाले अधिकतर राज्य पुवोत्तर के हैं। चलिए जानते हैं कि सबसे कम विधान सभा कि सीटें देश के किन राज्यों में हैं। भारत के सबसे कम विधान सभा सीटों वाले राज्यों में पुदुच्चेरी (केंद्र शासित) का आता है। इसमें विधान सभा कि 30 सीटें हैं। उसके बाद सिक्किम में 32, मिज़ोरम में 40, गोवा में 40, अरुणाचल प्रदेश में 60, मणिपुर में 60, मेघालय में 60, नागालैण्ड में 60, और त्रिपुरा में 60 सीटें हैं।
सबसे कम विधान सभा सीटों वाले राज्य
राज्य सीटें
अरुणाचल 60
गोवा 40
मणिपुर 60
मेघालय 60
मिज़ोरम 40
नागालैण्ड 60
पुदुच्चेरी 30
सिक्किम 32
त्रिपुरा 60
इन राज्यों में क्यों कम हैं विधान सभा की सीटें
विधान सभा या वैधानिक सभा भारत के विभिन्न राज्यों में निचला सदन (द्विसदनीय राज्यों में) या सोल हाउस (एक सदनीय राज्यों में ) भी कहा जाता है। दिल्ली व पुडुचेरी नामक दो केंद्र शासित राज्यों में भी इसी नाम का प्रयोग निचले सदन के लिए किया जाता है। द्विसदनीय राज्यों में ऊपरी सदन को विधान परिषद कहा जाता है। विधान सभा के सदस्य राज्यों के लोगों के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि होते हैं, क्योंकि उन्हें किसी एक राज्य के 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के नागरिकों द्वारा सीधे तौर पर चुना जाता है। इसके अधिकतम आकार को भारत के संविधान के द्वारा निर्धारित किया गया है। जिसमें 500 से अधिक व् 60 से कम सदस्य नहीं हो सकते। हालाँकि संसद के एक अधिनियम के द्वारा जैसे गोवा, सिक्किम, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी जैसे कुछ राज्यों में विधान सभा का आकार 60 सदस्यों से कम किया गया है। राज्य विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी केन्द्रीय चुनाव आयोग की होती है।
ऐसे ही कंटेंट के लिए देखे कैमफायर न्यूज |