कुश्ती का विकास पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था
कुश्ती कभी शाही परिवारों के मनोरंजन का जरिया रहा भारतीय कुश्ती और इसके पहलवान एक बार फिर चर्चा में हैं। हालांकि यह चर्चा नकारात्मक कारणों को लेकर है। हम नकारात्मक कारणों पर चर्चा की बजाय आपको यह बताएँगे कि कुश्ती का इतिहास क्या है और यह कितना लोकप्रिय है। कुश्ती सदियों पुराना ऐसा खेल है जो अपने शुरुआत से लेकर आज तक लोकप्रिय है। एक खेल के रूप में कुश्ती की लोकप्रियता बढ़ रही है। भारत में कुश्ती का विकास पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था।
ऐसा माना जाता है कि कुश्ती वैश्विक मार्शल आर्ट के रूप में 7000 ईसा पूर्व से अस्तित्व में है। भारत में कुश्ती के प्रारंभिक रूप को ‘मल्ल-युद्ध’ के रूप में जाना जाता था। उत्तर भारत में कुश्ती पारंपरिक खेल माना जाता है। राजा-महराजा मनोरंजन के लिए कुश्ती स्पर्धा आयोजित कराते थे। कभी इस खेल में पुरुषों का वर्चस्व रहा था लेकिन आज महिला पहलवान भी इसमें भारत का नाम रोशन कर रही हैं।
कुश्ती की कई शैलियाँ हैं प्रचलित
कुश्ती कभी शाही परिवारों के ऐसा खेल है, जिसमें ग्रैपलिंग की तकनीक शामिल है जैसे कि क्लिंच फाइटिंग, थ्रो और टेकडाउन, जॉइंट लॉक्स, पिन्स और अन्य ग्रैपलिंग होल्ड। कुश्ती की लोक शैली, फ्रीस्टाइल, ग्रीको रोमन, कैच, सबमिशन, जूडो, सैम्बो और अन्य शैलियाँ भी लोकप्रिय हैं। कुश्ती का मुकाबला दो पहलवानों के बीच में होती है। कुश्ती की पारंपरिक ऐतिहासिक और आधुनिक दोनों शैलियां चलन में हैं।
इनके लिए अलग-अलग नियम हो सकते हैं। उत्तर भारत में देशी भाषाओं में कुश्ती कई नामों से जानी जाती थी- जैसे दंगल, पहलवानी और कुश्ती। स्वदेशी कुश्ती के लिए मिट्टी के अखाड़े बनाए जाते हैं। भारत में कुश्ती को शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त रहने का माध्यम माना जाता था।
कुश्ती की कई शैलियाँ हैं प्रचलित
कुश्ती ऐसा खेल है, जिसमें ग्रैपलिंग की तकनीक शामिल है जैसे कि क्लिंच फाइटिंग, थ्रो और टेकडाउन, जॉइंट लॉक्स, पिन्स और अन्य ग्रैपलिंग होल्ड। कुश्ती की लोक शैली, फ्रीस्टाइल, ग्रीको रोमन, कैच, सबमिशन, जूडो, सैम्बो और अन्य शैलियाँ भी लोकप्रिय हैं। कुश्ती का मुकाबला दो पहलवानों के बीच में होती है। कुश्ती की पारंपरिक ऐतिहासिक और आधुनिक दोनों शैलियां चलन में हैं।
इनके लिए अलग-अलग नियम हो सकते हैं। उत्तर भारत में देशी भाषाओं में कुश्ती कई नामों से जानी जाती थी- जैसे दंगल, पहलवानी और कुश्ती। स्वदेशी कुश्ती के लिए मिट्टी के अखाड़े बनाए जाते हैं। भारत में कुश्ती को शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त रहने का माध्यम माना जाता था।
कुश्ती 5वीं सदी से ही लोकप्रिय रही
दुनियाभर में पेशेवर कुश्ती सन 1830 में सामने आई, जिसमें पहलवानों ने अपनी प्रतिभा दिखाने और अपना दल बनाने के लिए यूरोप का सफर तय किया। इसी युग के आसपास कुश्ती पर फ्रांसीसी प्रभाव की वजह से ग्रीको-रोमन शैली अस्तित्व में आई। साल 1904 में फ्रीस्टाइल कुश्ती को सेंट लुइस खेलों के ओलंपिक कार्यक्रम और लंदन 1908 खेलों में भी शामिल किया गया था। फ्रांस, जापान और इंग्लैंड सहित कई देशों में मध्य युग (5वीं से 15वीं) के दौरान कुश्ती लोकप्रिय रही। कुश्ती का आयोजन हर आधुनिक ओलंपिक खेलों में होता रहा है। भारत में कुश्ती के लिए भारतीय कुश्ती महासंघ अधिशासी निकाय है।
कितना पुराना खेल है कुश्ती ?
कुश्ती की उत्पत्ति का पता गुफा चित्रों से चलता है। माना जाता है कि कुश्ती 15000 साल से चलती आ रही है। बेबीलोनियन और मिस्र की प्राचीन कलाकृतियों में कुश्ती के दांव पेंच को उकेरा गया है। इसका साहित्यिक संदर्भ प्राचीन भारतीय शास्त्रों में भी मिलता है। इलियड, जिसमें होमर 13वीं या 12वीं शताब्दी ईसा पूर्व के ट्रोजन युद्ध का वर्णन करता है, में कुश्ती का भी उल्लेख है। प्राचीन ग्रीस में कुश्ती ने किंवदंती और साहित्य में एक प्रमुख स्थान बनाया था। कुश्ती प्राचीन ओलंपिक खेलों में क्रूरता का खेल होता था।
विश्व चैंपियनशिप भारतीय पहलवान
कभी शाही परिवारों के लिए मनोरंजन का एक जरिया रहा कुश्ती का खेल अब एक पेशेवर खेल बन गया है। यह भारत को अंतरराष्ट्रीय शोहरत दिला रहा है। भारतीय पहलवान सुशील कुमार ने 2008 केन बीजिंग ओलंपिक में 66 किग्रा फ्रीस्टाइल में कांस्य पदक जीता। सुशील कुमार 2010 में विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय पहलवान बने। उन्होंने 66 किग्रा फाइनल में रूसी ओलंपिक समिति (आरओसी) के एलन गोगेव को हराया। वह अब तक कुश्ती विश्व चैंपियन बनने वाले एकमात्र भारतीय पहलवान हैं।
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